Mehandipur Balaji History In Hindi|मेहंदीपुर बालाजी की कहानी

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Mehandipur Balaji History In Hindi|मेहंदीपुर बालाजी की कहानी – इस कलियुग में सभी प्राणियों के संकट हरने, सबका कल्याण करने पवन पुत्र हनुमान जी ने अनेक स्थानों में अवतार लिया। कहीं ये हनुमान जी, कहीं ये बजरंग बली, कहीं अंजनी पुत्र तो कहीं मारूति के नाम से पूजे जाते हैं।

राजस्थान के दो जिलों के बीचोंबीच स्थित है घाटा मेहंदीपुर। इन दोनों जिलों से जुड़ा हुआ है चमत्कारी बालाजी मंदिर, जहां आकर नास्तिक भी आस्तिक बन जाते हैं।

आज के वैज्ञानिक युग में बालाजी महाराज का चमत्कार विज्ञान को भी अपने सामने नतमस्तक होने को मजबूर कर देता है।

यहाँ तीन देवताओ की प्रधानता है। बालाजी महाराज, श्री भैरव जी महाराज और श्री प्रेतराज सरकार। ऐसी मान्यता है कि यहाँ तीनों देव लगभग 2000 वर्ष पहले प्रकट हुए थे। मेहंदीपुर बालाजी धाम में बालाजी का चमत्कारिक मंदिर भी है।

श्री बालाजी महाराज की उत्पत्ति की कहानी

कहते हैं श्री राम भक्त हनुमान जी की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान श्री राम ने उन्हें दर्शन देकर कहा, “तुम धरती वासियों के कल्याणार्थ अवतरित हो और वहां लोग तुम्हें बालाजी के नाम से पूजेंगे”।

उन दिनों यह मेहंदीपुर क्षेत्र घने जंगलों से भरा हुआ था। आबादी भी काफी कम थी। एक दिन अचानक महंत जी के पूर्वजों के घर आश्चर्यजनक घटना घटी। उस रात जब महंत जी के पूर्वज अपने घर सो रहे थे तभी उन्हें ऐसा लगा जैसे पूरा ब्रह्मांड एक अलौकिक रोशनी से भर उठा हो।

महंत जी के पूर्वज चौंक उठे और वो नींद की अवस्था में ही उठकर चल पड़े। काफी दूर चलने के बाद उनकी आंखे स्वर्णिम रोशनी से चकाचौंध हो गई। उनके सामने हज़ारों दीपक जल उठे।

दीपक की रोशनी कम होते ही पीछे से हाथी घोड़ों की विशाल फौज नजर आई। अचानक तभी दूसरी ओर बालाजी की एक मूर्ति प्रकट हो गई। समस्त क्षेत्र एक जगमग रोशनी से जगमगा उठा।

फौज के प्रधान ने मूर्ति की तीन प्रदक्षिणाये की। और फिर, मूर्ति को साष्टांग प्रणाम किया। लेकिन, जैसे ही रोशनी खत्म हुई वहाँ से सभी गायब हो गए। इसी के साथ महंत जी के पूर्वज की नींद भी खुल गई।

सोने की काफी कोशिश करने के बाद जब उन्हें फिर से नींद आयी तो स्वप्न में तीन मूर्तियां दिखाई पड़ी। इसी के साथ एक आवाज आयी, “हे, मेरे प्रिय भक्त उठो और मेरी सेवा का भार ग्रहण करो। मै अपनी लीलाओं का विस्तार करूंगा”।

और तभी वहां बालाजी की मूर्ति भी प्रकट हो गई। अगले दिन गोस्वामी जी ने अन्य लोगों के साथ मिलकर बालाजी महाराज की छोटी सी दीवारी बना डाली। सालों बाद किसी शासक ने श्री बालाजी महाराज की मूर्ति को जमीन से बाहर निकालने की कोशिश की।

परंतु, बालाजी महाराज के चरणों का कोई अंत नहीं मिला। तब से लेकर अब तक इनके सम्पूर्ण चरणों के दर्शन नहीं हुए। माना जाता है कि यह पर्वत का ही एक अंग है। इस तरह श्री हनुमान जी बालाजी के रूप में प्रकट हुए और यह धाम बना बालाजी धाम।

इस धाम तक राजधानी दिल्ली से सड़क मार्ग तक पहुंचा जा सकता है। इस चमत्कारी मंदिर की महिमा से आज कोई भी अनजान नहीं है।

इस मूर्ति के चरणों में एक छोटी-सी कुण्डी थी। जिसमें हमेशा जल भरा होता था। रहस्य यह है कि बालाजी महाराज की बायी छाती के नीचे से एक बारीक जल की धारा निरंतर बहती रहती है जोकि चोला आदि चढ़ाने के बाद भी बंद नहीं होती है।

इसी प्रकार की एक अन्य कहानी यहां बतायी जाती है। एक बार बालाजी का चोला लेकर जब एक व्यक्ति मंडावर रेलवे स्टेशन पहुंचा तो रेलवे के अधिकारी ने luggage का निर्धारण करने के लिए उसे तौलने का प्रयास किया। लेकिन बार बार चोले के वजन मे फर्क़ आने लगा।

अंत में थक हारकर उस अधिकारी ने चोले का वजन करने का ख्याल ही त्याग दिया। और बालाजी के चमत्कार से अभिभूत हो गया।

यहां की विशेषता यही है कि मंदिर में किसी व्यक्ति विशेष द्वारा कोई चमत्कार नहीं किया जाता। यहाँ श्रद्धा पूर्वक आने वाले भक्तों को तमाम कष्टों तथा व्याधियों से मुक्ति मिलती है।

भूत प्रेत की बाधा, पागलपन आदि अन्य कष्टों के संकट बालाजी महाराज की कृपा से यहां कट जाते हैं। तभी तो कहते हैं-

॥भूत पिशाच निकट नहीं आवे महावीर जब नाम सुनावे॥

दुःखी ज़न श्री बालाजी महाराज के दरबार में आकर तीनों देवताओ को प्रसाद चढ़ाते है। श्री बालाजी महाराज को लड्डू, श्री प्रेतराज सरकार को चावल और श्री भैरव जी सरकार को उड़द का प्रसाद चढ़ाया जाता है।



इसमे से दो लड्डू रोगी को खिलाए जाते हैं जिसे खाकर वो झूमने लगता है। उसके अंदर छिपे हुए संकट पर बड़ी विकट मार पड़ती है। और फिर मार से तंग आकर वो भूत बालाजी महाराज के चरणों में बैठ जाता है।

संकट कटने पर सभी रोगियों को महाराज की ओर से एक दूत मिलता है। जब तक दूत न मिले तब तक बालाजी महाराज से निरंतर प्रार्थना करते रहना चाहिए।

यहाँ आने वाले श्रद्धालु बालाजी महाराज के दर्शन करने के बाद श्री भैरव जी महाराज जिन्हें कोतवाल कप्तान भी कहा जाता है और श्री प्रेतराज सरकार के दर्शन करते हैं।

इस मंदिर में नित्य होने वाली आरती दर्शनीय होती है। आरती के समय अनेक श्रद्धालु मंदिर के बाहर एकत्र हो जाते हैं। विशेष बात तो यह है कि संकट ग्रस्त रोगी चाहे कहीं भी हो वो आरती के समय स्वयं ही मंदिर के पास आ पहुंचता है।

बालाजी मंदिर से थोड़ी ही दूरी पर स्थित है श्री महंत जी महाराज जी की समाधि। इसके नजदीक ही है तपोभूमि यज्ञ स्थल।

मंदिर से थोड़ी ही दूरी पर रास्ता शुरू होता है तीन पहाड़ी का। पहली पहाड़ी की यात्रा करने पर सर्वप्रथम काली माता के प्राचीन मंदिर के दर्शन होते हैं। इसके साथ ही यहां राम मंदिर, दुर्गा माता एवं वैष्णो देवी का मंदिर, हनुमान मंदिर तथा प्राचीन श्री अंजनी माता का मन्दिर भी है।

इन सबके अलावा पंचमुखी हनुमान जी के दर्शन करके भक्त अपनी यात्रा को कल्याणकारी बनाते हैं। श्री बजरंग बली की ऐसी मूर्ति बहुत कम जगह ही मिलती है।

तीन पहाड़ी की यात्रा करते समय ऊपर से सम्पूर्ण मेहंदीपुर का विहंगम दृश्य दिखाई पड़ता है। दूसरी पहाड़ी पर जाने पर भक्तों को भैरव जी महाराज के दर्शन होते हैं। इसके साथ ही यहां अन्य देवी देवताओं से सजे छोटे-छोटे मंदिरों का सुख प्राप्त होता है।

तीन पहाड़ी के रास्ते पर ही मिलता है शनि देव जी का मंदिर। शनि देव जी की पूजा अर्चना सभी बाधाओं से भक्तों को मुक्त करती है। और इसके निकट है श्री मनोकामना हनुमान मंदिर ।हनुमान जी के इस मन्दिर के बारे में लोगों का ऐसा मानना है कि यहाँ भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। तभी इसका नाम मनोकामना हनुमान मंदिर पड़ गया।

हनुमान मंदिर के बाहर ही शिवलिंग के दर्शन होते हैं। हनुमान भजन गाते गुनगुनाते भक्तों की टोली जब आगे बढ़ती है तो सामने दृष्टिगोचर होता है श्री तीन पहाड़ी वाले बाबा जी का मंदिर।

इस मन्दिर में भक्तों का तांता लगा रहता है। यही पर सिद्ध धूना गोरखनाथ जी है। और यहीं पर है चौमुख भैरव जी। यही पर तीन पहाड़ी वाले महंत जी की समाधी। इसी समाधि के नजदीक है वैष्णो माता और शिव हनुमान मंदिर।

और तीन पहाड़ी वाले रास्ते पर ही पड़ता है श्री घाटे वाले बाबा का मंदिर। श्री बालाजी मंदिर के निकट ही हनुमान जी की एक विशाल प्रतिमा निर्माणाधीन रूप मे है।

बालाजी महाराज के मंदिर जाने वाले रास्ते पर ही है अंजनी माता का मन्दिर। इस मंदिर में बाल हनुमान जी की प्यारी सी मूरत है। नन्हें हनुमान जी को गोद में लिए माता अंजनी की एक सुन्दर मूरत के यहां दर्शन होते हैं। इस मंदिर में बनी सुनी झांकियां भक्तों का मन मोह लेती है।

घाटा मेहंदीपुर तक आने के लिए आगरा मथुरा अलीगढ़ आदि शहरों से यहां सीधी बसे जयपुर जाती है वो सभी बालाजी मोड़ पर रुकती है। बालाजी महाराज के दर्शन हेतु प्रतिदिन दूर दूर से श्रद्धालु यहां आते हैं।

समय समय पर मेहंदीपुर बालाजी के लिए पैदल यात्रा भी आयोजित होती रहती है। जय बालाजी के जयघोष करते भक्तों की भीड़ कभी केसरिया तो कभी सफेद वस्त्रों से परिपूर्ण आगे बढ़ती रहती है।

इसके साथ ही हनुमान जयंती तथा अन्य विशेष अवसरों पर देश के लोकप्रिय कलाकारों द्वारा बालाजी का गुणगान किया जाता है। वैसे तो सप्ताह भर भक्त यहां आते रहते हैं तथा मंगलवार तथा शनिवार का दिन शुभ माना जाता है। इसीलिए इन दोनों दिनों में अपार संख्या में श्रद्धालु यहां आकर बालाजी की पूजा कर कृपा दृष्टि पाते हैं।

जिन भक्तों ने अभी तक बालाजी धाम के दर्शन नहीं किए या जो भक्त वहां जाना चाहते हैं परंतु मेहंदीपुर बालाजी के नियमों से अनभिज्ञ हैं वो हमारी यह पोस्ट जरूर पढ़ें.

इसमे कोई संदेह नहीं कि आज हम वैज्ञानिक युग में वास कर रहे हैं। किंतु श्री बालाजी महाराज की शरण में आकर बड़े बड़े वैज्ञानिक भी इनके चमत्कार देख दंग रह जाते हैं। और विज्ञान के पास इन चमत्कारों का कोई जवाब नहीं मिलता।



॥जय श्री बालाजी महाराज॥

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