श्री मेहंदीपुर बालाजी महाराज की दरख्वास्त क्या होती है? बालाजी महाराज को दरख्वास्त क्यों लगायी जाती है और इसे कैसे लगाते हैं? अर्जी और दरख्वास्त मे क्या फर्क होता है? आज यही सब हम इस पोस्ट के माध्यम से जानेंगे।
राजस्थान के दौसा जिले मे छोटी – छोटी पहाड़ियों से घिरा हुआ मेहंदीपुर नामक स्थान और यहाँ पर बना स्वयंभू श्री बालाजी महाराज का पवित्र और चमत्कारिक मंदिर, हमेशा से लोगों के लिए कौतुहल का विषय रहा है।
यहाँ आने वाला हर व्यक्ति बालाजी महाराज के दर्शन करने के बाद, इस मंदिर की महिमा का बखान करने लगता है। आखिर क्यों ना करे ? क्योंकि किसी ने सही ही कहा है “नास्तिक भी आस्तिक बन जाते हैं श्री मेहंदीपुर दरबार”।
यहाँ बालाजी महाराज के दर्शन की प्रतीक्षारत लाइनों मे लगे लोग हाथो में लड्डुओं का थाल, उबले हुए चावल या फिर उड़द का थाल सिर पर लिए हुए रहते हैं। जिसे “अर्जी” कहते हैं। दूसरी ओर, कुछ दर्शनार्थी एक छोटे से दोने मे कुछेक लड्डू, बताशे व घी लिये हुए रहते हैं जिसे “दरख्वास्त” कहा जाता है।
बालाजी महाराज की अर्जी के विषय मे हम आगामी पोस्ट में विस्तार से चर्चा करेंगे, क्योंकि इसकी विषय वस्तु इतनी वृहद् है कि इस पोस्ट में अर्जी की चर्चा करना थोड़ा सा कठिन हो जायेगा।
तो आइए शुरू करते हैं।
बालाजी महाराज की दरख्वास्त क्या होती है?
जैसा कि हमने अभी बताया कि मंदिर मे दर्शन करने जाते लोग अपने – अपने हाथों मे एक छोटा सा दोना लिये रहते हैं, जिसे ही “दरख्वास्त” कहा जाता है।
कहाँ और कितने की मिलती है ये दरख्वास्त ?
आप इसे श्री बालाजी महाराज के मंदिर के सामने की सड़क के दोनों तरफ बनी प्रसाद की दुकानों से खरीद सकते हैं। यह वर्तमान में दस रुपए (10 Rs.) की मिलती है। सबसे बड़ी खासियत यह है कि प्रत्येक दुकान पर दरख्वास्त की कीमत एक ही रहती है। परन्तु, महंगाई बढ़ने के कारण समय समय पर इसके दाम भी पुनरीक्षित होते रहते हैं। आपको बता दें कि ऐसी स्थिति में भी सभी दुकानों पर दरख्वास्त का मूल्य एक समान रहता है।
ऐसा इसलिए है कि सभी दुकानदार श्री बालाजी महाराज मंदिर ट्रस्ट के दिशा निर्देशों का पालन करते हैं, जोकि यह अच्छी बात है।
क्या होता है इस दरख्वास्त मे ?
इसमे दुकानदार 10 (दस) रुपये के मूल्य के बदले आपको एक दोना देता है, जिसमे 6 लड्डू, कुछ बताशे और घी होता है। ये लड्डू साइज़ में अपेक्षाकृत बहुत छोटे होते हैं।
दरख्वास्त का विधान :-
बालाजी की दरख्वास्त क्यों लगायी जाती है ?
शायद ही ऐसी कोई परंपरा आपको किसी और मंदिर मे देखने को मिले जहाँ इस तरह से दरख्वास्त लगायी जाती हो। यहाँ लगायी जाने वाली परम्परा सैकड़ों वर्षो से चली आ रही है।
जहाँ आज बालाजी महाराज का मंदिर स्थित है, प्रारम्भ में इसके चारों ओर दूर – दूर तक घना जंगल हुआ करता था। चोर, डाकुओं और जंगली जानवरों का बहुत प्रभाव था यहाँ। जो कोई भी व्यक्ति यहाँ से होकर गुजरता था, या तो जानवरों के हमले या फिर इन चोर डाकुओं का शिकार हो जाया करता था।
इसलिये, यहाँ आने वाले श्रद्धालुजन जब बालाजी महाराज के मंदिर पहुंच जाते थे तो श्रद्धा सुमन पूर्वक बालाजी महाराज को यही दरख्वास्त लगाने लगे। ये लोग इसे लगाते समय बोलते थे कि हे बाबा, मै आपकी कृपा से आप तक सुरक्षित आया हूँ। कृपया मेरी दरख्वास्त स्वीकार करें। इसी तरह घर वापसी मे भी इसे लगाने लगे कि हे बाबा, हमें घर तक सुरक्षित पहुंचा देना।
इस तरह, आने और जाने की दरख्वास्त लगाने से लोगों मे चमत्कारिक रूप से चोर, डाकुओं का भय खत्म हो गया। ऐसी मान्यता है कि बाबा को इसे लगाने वाले के साथ फिर कोई लूटपाट जैसी अप्रिय घटना नहीं हुई। यही मान्यता आगे चलकर परंपरा मे फलीभूत हुई, जिस कारण दरख्वास्त लगायी जाती है।
दरख्वास्त की एक अन्य मान्यता :-
ऐसा भी माना जाता है कि छोटी छोटी परेशानी में भी दरख्वास्त लगायी जाती है।
कब लगाए दरख्वास्त ?
यहाँ की मान्यता के अनुसार निम्न दशाओं मे लगायी जा सकती है।
1. घर से मेहंदीपुर धाम को निकलते हुए :-
जब भी आपका बाबा के धाम जाने का मन हो तो घर छोड़ने से ठीक एकदम पहले घर में ही लगायी जाती है। परिवार का प्रत्येक व्यक्ति जो दर्शन हेतु बालाजी जा रहा हो, अलग – अलग दरख्वास्त लगाता है।
इसमें आप 10 रुपये एक लाल रंग के वस्त्र मे लपेटकर घर में ही बालाजी महाराज के सामने रख देते हैं, और अपना पूरा नाम, पिता का नाम व पूरा डाक का पता बोलकर प्रार्थना की जाती है कि हे बाबा, मैं आपके धाम दर्शनों के लिए आ रहा हूँ। मुझे सुरक्षित पहुंचा देना। ध्यान देने की बात यह है कि इसे लगाने के बाद जब तक आप अपने शहर की सीमा – रेखा से बाहर नहीं निकल जाते, तब तक अन्न या जल ग्रहण नहीं किया जाता है। शहर छोड़ने के बाद ही खा या पी सकते हैं।
# दिल्ली से मेहंदीपुर बालाजी बस, ट्रेन या हवाई मार्ग से कैसे जाये
2. मेहंदीपुर बालाजी धाम पहुँचकर :-
जब भी आप मेहंदीपुर धाम पहुँच जाये, नहा – धोकर एवं स्वच्छ कपड़े पहनकर प्रसाद की दुकान से दस रुपए की दरख्वास्त ले और मन में उसी तरह अपना नाम पता बोलकर बाबा को धन्यवाद दे कि आपकी कृपा से आप यहाँ सुरक्षित पहुंचे है। जब तक दरख्वास्त ना लग जाये अन्न जल ना लें।
3. बालाजी से घर वापसी के समय :-
जब भी आप घर को रवाना हो एक दरख्वास्त फिर इसी प्रकार से लगायी जाती है। इसमें भी जब तक आप मेहंदीपुर की सीमा, जिसे आज कल बालाजी मोड़ कहा जाता है, पार ना कर ले, कुछ खाये पिए ना।
4. संकट वाले छोटी परेशानियों के लिए :-
संकट वाले या ऊपरी बाधा से परेशान लोगों को परेशानी के समय लगानी चाहिए।
5. पितृ विसर्जन अमावस्या के दिन लगाकर पितरों का तर्पण विसर्जन करना ।
बालाजी को मेहंदीपुर में दरख्वास्त कैसे लगाते हैं ?
सर्वप्रथम प्रसाद की दुकान से दरख्वास्त का दोना लीजिये और दर्शन की लाइन में खड़े हो जाइये। लाइन मे चलते चलते मन ही मन अपना नाम और पता बोलिए और अपनी दरख्वास्त दोहराते रहिये। जैसे ही आप बालाजी की प्रतिमा के सामने पहुंचेंगे, पुजारी आपके हाथ में रखे दोने से कुछ लड्डू के अंश निकाल लेगा। और उसे पास में रखे धूपड़े में अर्पित कर देगा। जैसे ही आप बालाजी मंदिर से बाहर निकलेंगे, दाहिनी ओर बने भैरो बाबा के मंदिर में भी आपको पुजारी के सामने यही दोना बढ़ा देना है। इसी क्रम को आगे भी ऐसे ही दोहराया जाएगा। सामने बनी सीढ़ियों से आप श्री प्रेतराज सरकार के मंदिर में पहुंचेंगे, वहाँ भी आपको यही क्रिया दोहरानी है। थोड़ा आगे चलेंगे तो श्री दीवान सरकार को दरख्वास्त लगानी है।
प्रेत राज सरकार के मंदिर से बाहर निकलते ही आपको पहाड़ी दिखायी देगी। पहाड़ी की तरफ पीठ करके, जो भी कुछ दोने मे बचा हो, उसे अपने सिर से सात बार उतारा कर लें और बिना पीछे देखे, पीछे ही फेंक दे। गिरा हुआ सामान जानवरों को खिला दिया जाता है। इसके लिए वहाँ कई व्यक्ति होते हैं। बस आपको दरख्वास्त लगाकर मंदिर से बाहर निकल जाना होता है।
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नोट :- उपरोक्त विचार लेखक के निजी अनुभव से लिए गए हैं। यदि इसमें कुछ जानकारी और जोड़ी जा सकती है तो आपके सुझावों का स्वागत है।
धन्यवाद।
जानिए कैसे लगती है मेहंदीपुर बालाजी में अर्जी और अर्जी लगाने का तरीका
Helpful information
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अगर अर्ज़ी एक बार लगा दी हो लेकिन संकट नही खत्म हुआ हो, तोह फिर दुबारा से अर्ज़ी लगानी पडती है??? जब भी मेहंदीपुर जाये फिर से अर्ज़ी लागए ??
अर्जी एक वर्ष तक ही काम करती है। अगर एक साल पूरा हो गया हो तो दुबारा अर्जी लगाए
Bhai G aarji kitne ruppes ki lagti hai
Darkhast 10 Rs ki aur Arji 251 ki lag rahi hai. Mahangai ke hisab se rates revised hote rahte hai.
maine mandir se nikalne ke baad wha gaaon ke ek dukaan se ek towel kharid laaya tha.Kya mujhe nahi laana chahiye tha?Kya isse mujhe koi pareshaani hogi?
बिल्कुल भी नहीं। सिर्फ खुशबूदार चीजों को साथ लाने की मनाही होती है।
घर से निकलने के पहले दरखास्त में जो घर पर लाल कपड़े में लपेटकर 10 रुपए रखते हैं उसका क्या करते हैं?
ब्रजेश जी घर पर लगायी जाने वाली दरखास्त को मेहंदीपुर बालाजी महाराज के मंदिर में पहुंचाई जाती है क्योंकि इस पर सिर्फ और सिर्फ बालाजी महाराज का हक होता है। जब भी आप बालाजी जाए इसे मेहंदीपुर पहुंचा दें।
धन्यवाद
घर पर जो दरख्वास्त लगी है उसे तुरंत ही ले जाना है कि अगली बार जाए तो ले जाए
Pitro ki Shakti ke liye Bala ji darbaar me arji kese lagye
क्या मेहंदीपुर बालाजी की 5 बार आरती मे शामिल होना अनिवार्य है।
बालाजी में सुबह शाम की आरती में 5 आरती होती है। अनिवार्य तो कुछ नहीं है पर यहां की आरती को काफी शुभ माना जाता है और यहां आरती के बाद मिलने वाले छींटे की काफी मान्यता है। भक्तों को आरती के छींटे अवश्य लेने चाहिए तभी यात्रा सम्पूर्ण मानी जाती है।
बाला जी महाराज के दर्शन बाद क्या कही दर्शन या घूमने जा सकते है। औऱ दर्शन के बाद प्याज लहसुन कितने दिन नहीं खाना चाहिए।
जा सकते हैं। 11,21 या 41 दिन का परहेज करें।
Kia baapes aate samay darkhs k liye lain m lgna jaruri h
agar possible ho to line me lag kar hi darkhast lagaye. Time kam ho to 10 Rs. mandir ke daan patra me daal kar man me darkhast bol dein.
Mahraj ji mujhe abki bar ane me der ho gaee hi jiske Karan Meri patni ki tabiyat phir se kharab ho gaee hi har 1sal me ate hi pr Corona ki wajah se isbar nhi a pa rha hu or tabiyat jyada kharab hi Patni ki kripa upay patay
Kya Ghar Vapsi ki Darkhaust je liye again Line me lagna Padta hai ?
Main Balaji Maharaj ki ghar mein darkhaast Laga ke Rakhi Hun to time milega to hi aaenge Na kya Karen
Kab tak darkhaast ghar mein rakhna chahie aane ke liye nikali hun kab aane ka kab nahin
Maine hamare ya kisi ko pucha tha toh hawa ka bataya ab mehndipur arzi lagwai h ab kya kare waha kab aaye
Balaji ke darbar se wapas aaker kin kin cheejo se parhej kren krapya btayen
chawal, urad,safed cheeje khane me, kisi ke ghar ka kuch na khaye piye, gami aur sober me na jaye jitne din ka parhej ho
Balaji darbar se ghr wapas aaker kin kin cheejo ka parhej krna hota h kripya btaye bahut log alag alag baten bta rhe…aap btayen
Very helpful information
श्री मेहंदीपुर बालाजी के चमत्कारी मंदिर के बारे में जानकारी देने के लिए धन्यवाद |
सादर प्रणाम
कुछ जगह ऐसे होता है निमंत्रण में जहा खाना मजबूरी बन जाता है लहसुन प्याज के सेवन के बाद क्या करें
कृपया मार्गदर्शन करें
अत्यधिक मजबूरी में प्याज लहसुन का सेवन करना पड़ जाय तो बालाजी महाराज को दरखास्त लगाकर माफी मांगे।