तीन पहाड़ी मंदिर मेहंदीपुर बालाजी की जानकारी

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भक्तों, आज हम आपको मेहंदीपुर बालाजी में स्थित तीन पहाड़ी मंदिर मेहंदीपुर बालाजी के बारे में बताएंगे। इसे बालाजी में तीन पहाड़ भी कहते हैं। असल मे तीन पहाड़ी मंदिर सिर्फ एक ही मंदिर नहीं है बल्कि बालाजी मंदिर के ठीक सामने कुछ पहाड़ियां है जिन्हें क्रमशः एक पहाड़ी, दो पहाड़ी और तीन पहाड़ी कहा जाता है। प्रत्येक पहाड़ी पर कई मंदिर बने हुए हैं जो कि अति प्राचीन भी हैं। आज हम इसी तीनों पहाड़ियों पर स्थित मंदिरों के बारे में बताएंगे।

तीन पहाड़ी मंदिर मेहंदीपुर बालाजी राजस्थान

मुख्य मंदिर के सामने तीन पहाड़ियां है। यही तीन पहाड़ी तीन पहाड़ी मंदिर मेहंदीपुर कहलाती है। बाजार से ही तंग रास्ते से होते हुए ऊपर चढ़ाई चढ़ते हैं। पहले शिव मंदिर आता है जहां पर ऊपर पहाड़ी पर जाने के रास्ता का तीर नुमा चिन्ह दर्शाया गया है। दूर से प्रेतराज मंदिर के दर्शन चढ़ते चढ़ते हुए बराबर के दृश्य बड़े मनोहारी हैं।

बायीं ओर एक बाल गणेश और बाल हनुमान के एक छोटे से मंदिर में दर्शन होते हैं। यात्री फिर पौड़ी चढ़ते हैं। मान्यता है कि मेहंदीपुर बालाजी के कण कण मे भूत प्रेत, ऊपरी हवा को भगाने की शक्ति और हनुमान जी का आशीर्वाद है।

यही आस्था, श्रद्धा और विश्वास दूर दूर से रोगियों को यहां खींच कर लाती हैं। आत्मिक युग, आशीर्वाद के सिद्धांत को माने या ना माने लेकिन यहां की मान्यता में कोई कमी नहीं आयी।

और थोड़ा ऊपर काली माँ का मंदिर आता है जो प्राचीन है। यहीं पर एक मानसिक रोगी को आशीर्वाद देकर इलाज करते पाया जाता है। फिर पौड़ी चढ़कर अंजनी माता के मंदिर के दर्शन होते हैं। यह मंदिर भी प्राचीन है।


मंदिर की खूबसूरती दर्शनीय है। माता अंजनी के मंदिर में औरते पूजा करती रहती है। पति पत्नी यहां आकर औलाद की मन्नतें मांगकर अपनी हाजिरी दर्ज करते हैं। यदि किसी ऊपरी हवा के कारण गर्भ धारण नहीं हो पाता तो ऐसी औरतों को यहां पर सिर हिलाते हुए खेलता हुआ देखा जा सकता है।

विग्रह स्वरूप में माता अंजनी की गोद में बाल हनुमान
जी के दर्शन होते हैं। यह बहुत ही प्यारा दृश्य जो श्रद्धा और विश्वास की पराकाष्ठा है। औरत अपने बालों से फर्श को साफ करती हुई दिखाई देती है। साथ ही अपने पल्लू से अंजनी माता के फर्श को साफ करती है। आज के युग में यह सब आश्चर्य सा लगता है।

यहीं पर एक वृक्ष है जिस पर औरतें, पति पत्नी साथ साथ चुन्नी और धागे बाँध कर मन ही मन सन्तान प्राप्ति का माता अंजनी से वरदान मांगती है। इन्हें पूर्ण विश्वास होता है कि अंजनी मैया हमारी मन की मुराद अवश्य ही पूरी करेंगी। यह अंजनी माता का दूसरा प्राचीन मन्दिर है।

यहां पर भी पुजारी मानसिक रोगियों का इलाज भजन कीर्तन कराते हुए देखा जाता है। ऊपरी हवा वाला रोगी अनैच्छिक क्रियाओं में खेलने लगता है जैसे सिर हिलाना। साथ आने वाले परिवार के सदस्य हथेलियां बजाते रहते हैं। रोगी जमीन पर अपने दोनों हाथ रख देता है।

काफी देर तक यह प्रक्रिया चलती रहती है। निराश, हताश मानसिक रोगी इलाज कराने यहां पर जरूर आते हैं। यहीं पर पंचमुखी हनुमान जी का बड़ा ही मनोहारी विग्रह स्वरूप है। इस विग्रह मे पांचों मुख हनुमान जी के हैं ।

यहां के दर्शनों के पश्चात समय आता है है तीसरे पहाड़ का। रास्ते में मृत पूर्वजों के बने हुए थान दिखाई देते हैं। जिन्हें देखकर पूर्वजों की याद ताजा हो जाती है। अब यात्री तीसरे पहाड़ पर तीन पहाड़ शक्ति स्थल पर आते हैं।

दूर से लहराते हुए झंडों के दर्शन होते हैं। खाने पीने की वस्तुए और पूजा सामग्री का बाजार भी है। यहां पर कोतवाल और प्रेतराज का शिला रूप में स्वरूप है। मान्यता है कि जिनके रोग ठीक हो जाते हैं उन्हें यहां के दर्शन अनिवार्य है क्योंकि इन्हीं की कृपा से तो बालाजी हनुमान भूत प्रेतों, ऊपरी हवाओं को मार मार कर भागते हैं।


प्रेतों के देवता प्रेतराज के दर्शन आश्चर्यचकित करने वाले है। यहीं पर चौमुखा भैरव बाबा के दर्शन होते हैं। भैरव बाबा शमशान वासी माने जाते हैं। तांत्रिक इन्हीं की पूजा करके विशेष सिद्धियां प्राप्त करते हैं और लोगों का भला करते हैं।

इन्हें कालों के काल महाकाल माना गया है। यहां पर पुजारी हवन कुंड मे मंत्रो से रोगियों को आशीर्वाद देते हुए दिखाई देते हैं। मोर के पंखों से झाड़ा लगाते हैं। मस्तक पर तिलक लगाकर पुन: कष्ट न आए ऐसा आशीर्वाद देते हैं।

बराबर मे श्री श्मशान भैरव का मंदिर है। यहीं पर शिव के अवतार गुरु गोरखनाथ का विग्रह रूप और धुना है। इसकी भभूति सर्वकष्टहारी मानी जाती है। बराबर मे योगमाया के अनेक विग्रह रूप दिखाई देते हैं।

योगमाया भी सर्व क्लेशहारी है। इनका आशीर्वाद और दर्शन भी अनिवार्य है। यहां पर एक सरसों के तेल की ज्योत सदा जलती रहती है। यहां के दृश्य और पूजा बड़ी विस्मयकारी सी लगती है।

यहां पर दो प्रकार का प्रसाद होता है। एक मे जो भैरव नाथ का प्रसाद माना जाता है नारियल पर लाल कपड़ा लिपटा होता है। दूसरा प्रसाद माँ काली का होता है। जिस पर नारियल पर काला कपड़ा लिपटा होता है।

पंचमुखी की हाजिरी बताशे और लड्डुओं की मानी जाती है। चाहे जो हो पूजा का यहां पर एक अनोखा अद्भुत रूप देखने को मिलता है। यहां के दर्शनों के पश्चात वापिस नीचे मुख्य मंदिर पर आया जाता है।

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