क्या आपका मन मचल उठता है बालाजी महाराज के द्वार जाने को ?

0
2012

क्या आपका मन मचल उठता है बालाजी महाराज के द्वार जाने को ?

  • क्या श्री राम जय राम जय जय राम के स्वर आपको बालाजी महाराज की याद दिलाते हैं ?
  • क्या घाटा मेहंदीपुर की बजती घंटियों की आवाजें जेहन में आते ही आपका मन घाटे जाने को करता है ?
  • क्या बाबा की मनमोहक छवि देखकर आप साक्षात बालाजी महाराज के दर्शनों के लिए लालायित नहीं हो उठते हैं ?

 

ऐसा कई बार देखने को मिलता है कि हम पावन भूमि श्री मेहंदीपुर जाते हैं और वहां दर्शन के लिए लंबी लंबी पंक्तियों में घंटो खड़े रहते हैं। वहां जब भीड़ अधिक अधिक होती है जैसा कि मंगलवार या शनिवार के दिन होता है, हम घंटो लाइन मे खड़े रहकर अपनी बारी का इंतजार करते हैं।

शुरुआत में वहां लाइन में खड़े होकर ऐसा लगता है कि जैसे ये लाइन कभी खतम ही ना होगी। रेंग रेंग कर धीमी चाल से घंटो गुजर जाते हैं अपने आराध्य के लिए। बस वहां आसरा होता है सिर्फ बाबा के जय जयकारो का जिसमे भागीदारी करने से ना गुजरने सा प्रतीत होने वाला समय भी चुटकियों में गुजर जाता है।

जैसे ही आप बाबा के करीब पहुंचने लगते हैं, आंखों मे एक चमक सी आ जाती है। प्रतीक्षा की घड़ी समाप्ति की ओर आने लगती है। आप मंदिर के प्रवेश द्वार से बायीं ओर की पंक्ति में समा जाने का प्रयत्न करने लगते हैं ताकि आपके चक्षु अधिक से अधिक बाबा को निहारने का सौभाग्य प्राप्त कर सके।

सुरक्षाकर्मियों की डांट के बावजूद आप इसी कोशिश में लगे रहते हैं कि किसी तरह से थोड़ा समय और मिल जाए बाबा को देखने का।

इतना सब कुछ होने के बाद आप मंदिर से बाहर आकर अपने साथ आजमायी तकनीकों का वर्णन अपने संग आए लोगों के साथ करते हैं और अपने आपको धन्य महसूस करते हैं ।

ये एक ऐसा अनुभव होता है कि जब भी कोई आपसे बालाजी का जिक्र करता है अनायास ही आपको वहां के अनुभव याद से आने लगते हैं।

देखा जाता है जब कोई आपसे वहां के बारे में बातें करता है आप घंटों वहां के बारे में बात कर सकते हैं। कुछ समय के बाद पूरा माहोल हनुमान मय होने लगता है। बड़ी ही पवित्रता और आस्था के साथ आपका हृदय मचल उठता है।

आप फेसबुक पर भी सक्रिय हैं। कई धार्मिक पेज लाइक किए हुए हैं और ग्रुप्स मे भी एक्टिव हैं। जब भी कोई छवि आप बालाजी महाराज की देखते हैं आप लाइक करना नहीं भूलते। जब ये प्रक्रिया जल्दी जल्दी होने लगती है आपका मन फिरसे बाबा के धाम जाने को हो उठता है।

आप चाहते हैं कि बाबा का नशा आपके ऊपर से कभी उतरे ही नहीं। आप दुखी हो उठते हैं या जब कभी आपको विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है तो आप अपने आराध्य श्री राम दूत हनुमान जी महाराज को याद कर उठते हैं। आप अपनी व्यथा और अपना दुखड़ा सीधे उनके द्वार पर ही जाकर सुनाना चाहते हैं।

आप अपने मित्रों रिश्तेदारों से साथ चलने को कहते हैं। उनके द्वारा यह कह देना कि अभी टाईम नहीं है, काम बहुत हैं अभी घर के, जब बाबा बुलाएंगे तब जाएंगे, बजट नहीं है जाने का…. ये सब बातें आपको निराश कर देती हैं। आप जाना चाहते हैं लेकिन साथ नहीं मिल पाता।

असल में सम्बन्धियों के साथ जाना आपकी उमंगों को दूना कर देता है इसीलिए आप उन्हें साथ ले जाना चाहते हैं। अगर आप उम्र के हिसाब से ज्यादा परिपक्व नहीं है तो आपके माता पिता आपको अकेले जाने की अनुमति नहीं देते।

ऐसी परिस्थितियां लगभग कई लोगों के साथ घटित होती है और जब ऐसा होता है तब आपके उल्लास मे कमी आने लगती है। आप अपना ध्यान तब वहां से हटाने की कोशिश करने लगते हैं और अपने मन को समझाने लगते हैं कि कोई बात नहीं अबकी नहीं तो अगली बार जरूर जाऊंगा।

ऐसा ही कुछ आपके सहपाठी या रिश्तेदार समझाते हैं और आप मान भी जाते हैं। ना चाहते हुए भी आपको सबकी बातों को मानना पड़ता है क्योंकि कोई और चारा भी तो नहीं होता आपके पास।

ये सब सामान्य रूप से होने वाली घर घर की कहानी है जो बाद में समय के साथ साथ धूमिल हो जाती है। लेकिन कभी कभी ऐसा भी देखा जाता है कि कुछ समय के बाद आप कहीं और जाने का प्रोग्राम बना लेते हैं। आप खुशी खुशी चले भी जाते हैं। लेकिन जैसे ही आपका सामना बालाजी महाराज के नाम से होता है तब आप पछतावा करने लगते हैं कि इससे तो बाबा के द्वार ही हो आते।

लेकिन आपकी आत्मा से उठी ये आवाज आप बड़ी ही तीव्रता से अंदर ही अंदर दबा देते हैं। ऐसा आप क्यों करते हैं इसका कारण तो स्वयं आप ही ढूंढ सकते हैं लेकिन बाबा की जय जय कार या मंदिर से आती हुई घंटियों की आवाज आप अनसुनी ना किजिये जैसे ही आपको समय और सुगमता मिले आपको पहुंच ही जाना चाहिए बाबा की चौखट पर क्योकि –

“जब तक है ये ज़िंदगी फुर्सत ना होगी काम से, कुछ समय ऐसा निकालो प्रेम कर लो श्री बालाजी महाराज से”

जय बाबा की

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here