श्री मायापती हनुमान मंदिर उज्जैन, यहां बजरंग बली निःसंतानो की झोली भर देते हैं।

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श्री मायापती हनुमान मंदिर उज्जैन, यहां बजरंग बली निःसंतानो की झोली भर देते हैं। उज्जैन जहां हनुमान जी ने एक राक्षस की माया को जानकर उसका वध ही नहीं किया बल्कि बजरंग बली कहलाए मायापती हनुमान। क्षिप्रा नदी के तट पर बसा शहर उज्जैन – राजा विक्रमादित्य के राज्य की राजधानी और कालिदास की नगरी कही जाने वाली धार्मिक स्थली उज्जैन।

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यहां कण कण पुकारता है महाकाल का नाम ।लेकिन महाकाल की इस नगरी में मौजूद है पवन पुत्र का एक ऐसा धाम जिन्हें भक्त पुकारते हैं मायापती हनुमान के नाम से। उज्जैन के आगर रोड के पास संकट मोचन के इस मंदिर में भक्तों को भगवान् के भव्य और विशाल रूप के ही दर्शन नहीं होते बल्कि उनकी मनोकामनाओं को भी यहां मिलता है बजरंग बली का आशीर्वाद।

महावीर के दरबार में आकर शीश नवाने और पांच मंगलवार का व्रत करने भर से हनुमान जी लगा देते हैं अपने भक्तों की जीवन नैया को पार। मायापती हनुमान का स्वरूप जितना दिव्य है उतनी ही रोचक हनुमान जी के यहां प्रकट होने की कहानी भी है।

कहते हैं कि लंका युध्द के दौरान जब लक्ष्मण जी को बाण और हनुमान जी समुद्र को लांघ कर संजीवनी बूटी लेने जा रहे थे तब रावण ने उनका रास्ता रोकने के लिए कालनेमि राक्षस को भेजा। कालनेमि राक्षस मायावी विद्या मे निपुण था जिससे वो कोई भी वेश धारण कर सकता था।

कालनेमि बजरंग बली का रास्ता रोकने के लिए ब्राह्मण का वेश धारण कर उनके पास पहुंचा लेकिन पवन पुत्र तुरंत ही उस राक्षस की माया समझ गए और कालनेमि का वध कर दिया।

तभी सभी देवताओं ने बजरंग बली को आशीर्वाद दिया कि अबसे आप मायापती के नाम से भी जाने जाएंगे। उसी प्रतिरूप मे मायापती के नाम से हनुमान जी इस मंदिर में विराजमान हैं।

कहते हैं कि साढ़े साती से पीड़ित जातकों के लिए ये मंदिर किसी वरदान से कम नहीं है। बजरंग बली का यह रूप करता है शनि दोष का नाश। फिर चाहे ढैय्या हो या साढ़े साती।

हनुमान के नाम की एक छोटी सी पूजा और तेल का एक छोटा सा दीपक जलाने से भक्तों को मिलती है शनिदेव के प्रकोप से मुक्ति। यही नहीं जिनकी सन्तान नहीं होती उनकी यहां गोद भराई होती है और सन्तान प्राप्ति के लिए उन्हें लगाया जाता है खास प्रसाद का भोग।

हर अमावस्या के दिन हवन मे नारियल की आहुति दी जाती है जिससे भक्तों की विनती पूर्ण होती है और मायापती हनुमान जी को लगाया जाता है मोतीचूर के लड्डू और चूरमे का भोग जो इन्हें बेहद प्रिय है।

कहा जाता है कि इनकी पूजा से कई निःसंतान दंपत्ति को सन्तान की प्राप्ति हुई है। उज्जैन के ये मायापती हनुमान जी दक्षिण मुखी हैं जिसे समस्त दुखों का नाश करने वाला माना जाता है।

मान्यता है कि बजरंग बली के इस दरबार में ध्वजा चढ़ाने से हर तरह की बलाओं को दूर किया जा सकता है। मंगलवार और शनिवार को मायापती हनुमान की पूजा और अर्चना का विशेष महत्व है। कहते हैं बजरंग बली के इस धाम मे होने वाली आरती का हर कोई गवाह बनना चाहते हैं और जिसने भी इस मौके का लाभ उठा लिया उसके जीवन में खुशियो का लग जाता है अंबार।

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