पूजा करते समय आंखे नम, आंसू आना, नींद और उबासी छींक आना – कारण और उपाय

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    पूजा करते समय आंखे नम, आंसू आना, नींद और उबासी छींक आना – कारण और उपाय – जब भी हम पूजा अर्चना करते हैं तो किस तरह से हमें यह पता चल पाएगा कि हमारी पूजा सफल हुई है या नहीं। पूजा के समय कुछ लोगों को नींद या उबासी आती है तो किसी के साथ कुछ और होता है। पूजा करते समय लोगों को होने वाली परेशानियां कुछ निम्न कारक और प्रश्न खड़ी कर जाती है, जैसे कि :-

    • पूजा करते समय जम्हाई क्यों आती है?
    • पूजा करते समय नींद आना
    • पूजा करते समय आंसू आना
    • पूजा करते समय आंखों में आंसू आना
    • लगातार उबासी आने का कारण
    • पूजा करते समय छींक आना
    • अधिक उबासी आने का कारण
    • पूजा करते समय आंखों में आंसू क्यों आते हैं?

    उपरोक्त सवालो को टटोलने से पहले हम यह जानने का प्रयास करते हैं कि जिस भी भक्ति भाव से हम अपने भगवान् की पूजा करते हैं क्या उसे स्वीकार कर लिया जाता है या हमारी पूजा सफल भी होती है? धार्मिक ग्रंथों और पुराणों के अध्ययन से पता चलता है कि सच्चे मन और निष्काम भाव से की गई पूजा सदैव स्वीकार होती है। जब भी कोई पूजा पाठ का कृत्य किया जाता है उस समय पूजा स्थल के आसपास का दायरा positivity की waves में समा जाता है और स्वयं आपमें भी एक positivity आने लगती है और कई प्रकार की खुशी का अनुभव आप करने लगते हैं।

    धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा देखा जाता है कि जब भी कभी आप अपने इष्ट देव के सन्मुख कोई दीपक प्रज्वलित करते हैं और अपनी पूजा मे आगे बढ़ते जाते हैं तो ऐसा प्रत्यक्ष अनुभव होता है कि आप अपने हृदय की भक्ति भाव से अपने इष्ट मे खो से जाते हैं और जल रही दीपक की ज्योति धीरे धीरे बहुत ही सुंदर रूप से स्थिर होती जाती है।

    बहुत से लोग ऐसी अवस्था में महसूस करते हैं कि यही वह समय होता है जब आप अपने अंदर से रोने के भाव बाहर की ओर ले आते हैं और आंखो में आंसू आने लगते हैं। ऐसा निम्नलिखित कारणों से होता है।

    • नकारात्मकता।
    • पूजा के फलस्वरूप हृदय की आंतरिक सफाई।
    • हृदय के केंद्र में छिपे ऐसे विचार जो आप सामने नहीं लाना चाहते जिसके प्रकटीकरण से आपको दुख की अनुभूति होती हो।

    नकारात्मकता की वजह से भी पूजा के समय आंखे नम हो जाया करती है। जब हमारा ध्यान भगवान् की ओर नहीं लगता और पूजा पाठ बोझ लगने लगता है। जिसमे आप कोई धार्मिक ग्रंथ नहीं पढ़ना चाहते हैं, भजन नहीं सुनना चाहते हैं, आरती नहीं गाना चाहते। आप पूजा करने बैठते हैं आपका शरीर बहुत भारी होने लगता है, सिर दर्द करने लगता है, पैर दुखने लगते हैं। यदि ऐसे लक्षण आपको महसूस होते हैं तो आपको समझ लेना चाहिए कि नेगेटिव energy आपके साथ मे है।

    समाधान :- ऐसे व्यक्ति जो नकरात्मक लक्षण रखते हैं और पूजा उन्हें भार जैसी लगती हो उन्हें सुनने की प्रक्रिया अपनानी चाहिए जैसे कि टेलिविजन पर भक्ति प्रवचन कार्यक्रम सुने, CD आदि पर धार्मिक आरती या भजन सुने। ध्वनि के माध्यम से आपके शरीर की cleaning होने लगेगी और आध्यात्मिक शुद्धि भी होगी।

    धूप अगरबत्ती का धुआं आपके आराध्य की ओर जाना :- यदि आप देखते हैं कि धूप आदि का धुआं और गंध आपके मंदिर में रखी प्रतिमा या छवि की ओर आकर्षित हो रही है तो समझा जा सकता है कि आपकी की जा रही पूजा को ईश्वर के द्वारा स्वीकार किया जा रहा है।

    जब आप अपने घर में विशेष त्योहारों आदि पर साफ सफाई करते हैं तो आपने महसूस किया होगा कि घर की साफ सफाई के साथ साथ आपमें भी बदलाव आने लगता है। ऐसे समय में की जाने वाली पूजा आपमें एक खुशी सी भर जाती है। आपके घर के साथ साथ आपका हृदय भी महकने लगता है।

    एक अन्य बात जो महसूस होती है कि जब भी आप पूजा पाठ करने बैठते हैं आपके मन में अनेको विचार आने लगते हैं जो कि इस दौरान नहीं आने चाहिए। ऐसा इसलिये होता है कि हमारे भीतर बहुत ही ज्यादा negativity होती है। हमारे आसपास के दायरे में कुछ ऐसी निगेटिव energy होती है जो हमे पूजा पाठ नहीं करने देती जिससे हमारी आत्मा की शुद्धि नहीं हो पाती है। हालांकि आप ऐसे विचारों को पहले से ही सोच कर नहीं बैठते लेकिन पूजा में ये विचार अपने आप आने लगते हैं।

    समाधान :- ऐसी परेशानी से बचने के लिए सबसे पहले आपको अपने घर की शुद्धि करनी चाहिए। जिसमे आप थोड़ा सा कपूर लेकर घर में जलाए और जलते हुए कपूर पर दो लौंग डाल दें और धुआं दे। दिन में एक बार ये क्रिया जरूर करनी चाहिए। समय चाहे कोई भी हो। इससे आपके घर की negativity दूर होने लगेगी और आपके आसपास सकारात्मक माहोल बनने लगेगा और आपमें भी positivity खुद से आने लगेगी। पूजा पाठ करने बैठे तो नहा धोकर साफ और धुले हुए कपड़े पहने। ऐसा करने से आपके आसपास जितनी भी नेगेटिव ऊर्जा होगी वो आपसे दूर चली जाएगी और शुद्ध विचार का समावेश आपमें होने लगेगा।

    शरीर और घर की शुद्धि करने से जो विचार नहीं आने चाहिए धीरे धीरे वास्तव में वो एकदम से तो नहीं लेकिन काफी हद तक आने कम होते चले जाएंगे और आँखे नम हो जाना, आंसू आना, उबासी आना भी बंद हो जाएगा। और आप प्रगति करते चले जाएंगे। “छोटी लेकिन बड़ी बात”


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