जैसा कि आप सभी जानते हैं कि श्री बालाजी महाराज जो कि हनुमानजी महाराज का बाल रुप है, आज से लगभग 2000 वर्ष पूर्व घाटा मेहंदीपुर, राजस्थान मे प्रकट हुए थे। एवं, हम सभी लोग यह भी जानते हैं कि उनका यह प्रकटीकरण माता सीता जी के आशीर्वाद से हुआ था क्योंकि उन्हे माता सीता से कलियुग में संकट मोचन के रूप मे पूजे जाने का वरदान मिला था।
क्यों हुआ था श्री प्रेतराज सरकार और भैरव जी महाराज का प्रकटीकरण ?
हम यह भी जानते हैं कि बालाजी महाराज सदैव अपने आराध्य श्री राम चन्द्र जी के चरणों के ध्यान मे खोए रहते हैं। इसी कारण से राजस्थान के मेहंदीपुर में श्री बालाजी महाराज अपने साथ श्री प्रेतराज सरकार और भैरव जी महाराज के साथ प्रकट हुए जो कि उनके सहायक है। श्री बालाजी महाराज के आशीर्वाद से भक्तों के संकटो को काटने का कार्य भैरो बाबा और प्रेतराज बाबा करते है।
भक्तों, अगर आप श्री प्रेतराज सरकार की कचहरी में गए हैं, जो कि दोपहर के समय 2 बजे से 4 बजे तक लगती है तो आपने देखा होगा कि श्री प्रेतराज जी का मंदिर, बालाजी महाराज के मन्दिर के ठीक ऊपर बना हुआ है एवं सबसे पहले उनके दरबार में श्री प्रेतराज जी की ही स्तुति गायी जाती है। फिर बाद मे श्री हनुमान चालीसा का पाठ किया जाता है।
भक्तों, क्या आप जानते हैं कि पहले प्रेतराज जी की ही पूजा क्यों की जाती है और उनके मंदिर को हनुमानजी से ऊंचा स्थान क्यों दिया गया है?
भक्तों, ऐसा कहा जाता है कि श्री प्रेतराज सरकार अपने जीवन काल मे राजस्थान के जयपुर के राजा हुआ करते थे और हर प्रकार के भूत प्रेत, पिशाच और जिन्न को पकड़ के उन्हें अपना गुलाम बनाने की कला जानते थे। इसी कारण से उन्हें प्रेतों का राजा श्री प्रेतराज सरकार कहा जाता है।
बालाजी के मेहंदीपुर में प्रकटीकरण से पूर्व बाला जी महाराज को एक सहायक की आवश्यकता महसूस हुई। राम नाम के ध्यान में होते हुए भी लोगों के संकट कट जाये इसलिए बाला जी महाराज श्री प्रेतराज जी के पास गए और उन्हें अपना सहायक बनने का आदेश दिया, चूँकि प्रेतराज जी एक राजा थे तो उन्हें किसी का आदेश मानना बुरा लगा और उन्होने बालाजी महाराज का आदेश मानने से मना कर दिया।
जब ये बात बालाजी महाराज को समझ आई तो उन्होंने श्री प्रेतराज जी से पुनः निवेदन किया, चूंकि श्री प्रेतराज जी उस समय गुस्से में थे और वह किसी का आदेश नहीं मानना चाहते थे इसलिए बालाजी महाराज को टालने के लिए उन्होने एक शर्त रख दी कि अगर आप मुझे वरदान दे, चूँकि मै एक राजा हू इसलिए मुझे आपसे भी ऊंचा स्थान चाहिए और मेरी पूजा आपसे पहले हो, साथ ही मेरी कचहरी मे मेरा ही हुक्म चले। श्री बालाजी महाराज ने तुरंत उनकी बात मान ली और उन्हें अपना सहायक बना लिया।
श्री प्रेतराज जी का मंदिर जो कि बालाजी महाराज के मंदिर के ऊपर बना हुआ है उनकी कचहरी आज भी प्रेतराज जी की कचहरी के रूप में विश्व विख्यात है और उनकी स्तुति पहले होना इस बात का सबूत है।
बालाजी महाराज की महिमा अद्वितीय है।
बोलो सच्चे दरबार की जय
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JAI BALAJI SARKAR