मेहंदीपुर बालाजी का मंदिर – यहाँ बस दो रुपए में बड़े से बड़ा भूत बोलने लगता है ।

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बिल्कुल ठीक पढ़ा आपने। जी हाँ, हम बात कर रहे हैं राजस्थान स्थित मेहंदीपुर बालाजी का मंदिर की जो कि हनुमान जी के बाल रूप में स्थापित है। यहाँ के बारे में बताया जाता है कि यहाँ स्वयं बजरंग बली भक्तों के संकटों को हर लेते हैं और शुभ आशीष प्रदान करते हैं।

मेहंदीपुर बालाजी का मंदिर : भूत बाधा से ग्रस्त लोग यहाँ आते हैं इनसे छुटकारा पाने

वैसे तो मेहंदीपुर बालाजी का मंदिर अपने आप में सिद्ध पीठ माना जाता है। यहाँ सम्पूर्ण भारत वर्ष से लोग यहाँ मन्नत मनोकामना पूरी करने के लिए यहाँ आते हैं और बालाजी महाराज के दरबार में अपनी हाजिरी लगाते हैं। मंगलवार और शनिवार को यहाँ बेहिसाब भीड़ रहती है। यहाँ आने वाला हर तबका बालाजी महाराज को अपनी अपनी अर्जी लगाता है।

यहाँ पर आने वाले ज्यादातर लोग भूत प्रेत बाधा से मुक्ति पाने के लिए आते हैं और मंदिर में अर्जी लगाते हैं। अर्जी लगाने के बाद ये लोग बालाजी महाराज से संकट ( जिसे यहाँ आम तौर पर भूत प्रेत बाधा के लिए कहा जाता है) की मुक्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।

यहाँ आपको कोई तांत्रिक बाबा आदि इन लोगों का उपचार करते हुए नही मिलेगा बल्कि यहाँ स्वयं हनुमान जी ही इनका उपचार करते हैं।

मेहंदीपुर बालाजी का मंदिर : मात्र दो रुपए मे बोलने लगते हैं यहाँ भूत प्रेत

यहाँ का विधान है कि जो व्यक्ति संकट से सताया होता है वह अपने आप भूत प्रेत से आवेशित हो जाता है। अपने आप ही बोलना शुरू कर देता है। ज़िद्दी से ज़िद्दी भूतों पर अदृश्य रूप से मार पड़ने लगती है और अंत में वह बालाजी महाराज के चरणों में बैठ जाता है।

जो भूत बोलते नहीं है या मानते नहीं हैं, उनके लिए एक अलग ही व्यवस्था है यहाँ। ये व्यक्ति प्रसाद की दुकान से मात्र दो लड्डू खरीदते हैं जिसकी कीमत मात्र दो रुपए होती है। सुबह शाम यहाँ होने वाली आरती शुरू होने से पहले ये लड्डू मंदिर में जमा करा दिए जाते हैं। जो कि आरती के बाद वापिस मिल जाते हैं। संकट से पीड़ित व्यक्ति ये लड्डू खा लेता है, फिर शुरू हो जाती है बालाजी महाराज की अनुकंपा।

ये लड्डू खाते ही मानो जैसे सिर में भयंकर दर्द उठना शुरू हो जाता है। सिर अपने आप गोल गोल घूमना शुरू कर देता है। और जो भी ऊपरी बाधा होती है वो सिर चढ़कर बोलने लगती है। बड़े से बड़ा भूत भी दो रुपए की कीमत के इन लड्डुओं के आगे अपने घुटने टेक देता है। ये वाकई किसी करिश्मे से कम नहीं है।

नास्तिक भी आस्तिक बन जाते हैं, मेहंदीपुर के बालाजी दरबार में

मेहंदीपुर बालाजी का मंदिर : सिर्फ बजरंग बली का राज चलता है यहाँ

ऐसा कहा जाता है कि आरती शुरू होने से पहले इन लड्डुओं जिसे यहाँ “पेशी के लड्डू” कहा जाता है, को बालाजी महाराज के सामने रख दिए जाते हैं। आरती के बाद यही इतने चमत्कारी हो जाते हैं मानो बालाजी महाराज ने इनमे जान फूंक दी हो।

कारण चाहे कुछ भी हो, यहाँ आने वाला हर व्यक्ति बालाजी महाराज की लीलाओं का प्रत्यक्षदर्शी रहा है।

वाकई में यहाँ की लीला अपरंपार और अद्वितीय है।

जय बाबा की।

जय श्री बाला जी महाराज ।

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