मेहंदीपुर बालाजी भूत-नहीं जाना बालाजी। क्या आप डरते हैं बालाजी जाने से ?

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किससे डरते हैं आप – मेहंदीपुर बालाजी भूत से ? क्या आपको डर लगता है मेहंदीपुर बालाजी आने मे ? क्या आप डरते हैं वहाँ पर सिर को घुमाते, चीखते चिल्लाते , हाथ पैर पटकते हुए लोगों के बीच आरती में खड़े होते हुए ?

ऐसे लोगों को देखकर क्या आप साइड हो जाते हैं? उनके पास जाना पसंद नहीं करते। आप एक बार बालाजी होकर आये हैं और जब भी कभी कोई आपको वहाँ एक बार फिर से जाने को कहता है, आप फौरन मना कर देते हैं।

आप हनुमान जी के भक्त हैं, उन्हें दिल से मानते हैं। हर मंगलवार आप इन्हें प्रसाद चढ़ाने मन्दिर भी जाते हैं लेकिन जब भी जिक्र होता है मेहंदीपुर बालाजी धाम जाने का आप पीछे हट जाते हैं।

क्या आप इनमे से एक हैं?

ऐसा कई बार देखा जाता है कि कुछ लोग श्री बालाजी महाराज को बहुत मानते हैं लेकिन कोई डर उन्हें कुछ दिमागी तौर से सोचने पर मजबूर कर देता है। जब वे सोचते हैं तो डर इतना हावी हो जाता है कि बिना सोचे समझे ही डर के आगे नतमस्तक हो जाते हैं, और बोल उठते हैं ” नहीं, मुझे नहीं जाना बालाजी – वालाजी “.

ज्यादातर लोगों को डर एक पसंद ना करने वाली भावना लगती है। इसमे इन्हे कोई आज़ादी, कोई खुशी महसूस नही होती।

Wikipedia के अनुसार, ” खतरे की उपस्थिति या निकटस्थता की वजह से एक बहुत अप्रिय भावना को डर कहते हैं “.

शायद इसी कारण से आपको चीखते चिल्लाते और सिर गोल गोल घुमाते हुए लोगों की निकटस्थता से आपको किसी अज्ञात खतरे की उपस्थिति महसूस होती है और आप उनके बीच में से होकर जाना पसंद नहीं करते हैं।

आपको ऐसा लगता होगा कहीं ये लोग आप पर झपट ना पड़े, आपकी कोई टाँग पकड़ के ना खींचने लगे। आप बिल्कुल नहीं चाहेंगे कि आपको ऐसी स्थिति से दो चार होना पड़े। आप ऐसी परिस्थिति अपने सामने लाना ही नहीं चाहेंगे।

आप वहाँ अकेले तो बिल्कुल भी नहीं जाना चाहेंगे। बालाजी मंदिर में दर्शन करने के लिए भी आपको अपने साथ एक दो लोग साथ चाहिए होते हैं। आप कभी उन्हे ये मालूम भी नहीं पड़ने देते कि आप अकेले नहीं जाना चाहते।

इस भय कि वजह से लोग एक दूसरे के साथ मिलकर कठिनाईयों का सामना करते हैं ना कि अकेले।

अन्य साथी लोगों के साथ आप इन पेशी लेते लोगों के बीच में से जाते हुए सर्राटे से निकल जाते हैं और आपको कुछ नहीं होता। कोई आपकी टांग नहीं खींचता। आपका अन्तर्मन कहता है कुछ होगा तो मेरे साथ के लोग मुझे संभाल लेंगे।

लेकिन संभालने या न संभालने की तो कोई नौबत ही नहीं आती, आप सकुशल भीड़ से निकल आते हैं।

आप Horror Movies देखना जरूर पसंद करते हैं वो भी बड़े चाव से लेकिन सूर्य की रोशनी में बालाजी मे पेशी लेते ये लोग देखकर आपके रोंगटे खड़े हो जाते हैं।

आप हनुमान चालीसा का पाठ एक साँस में कर जाते हैं। उसमें एक चौपाई है जिसे आप प्रेम के साथ गाते हैं –

भूत पिशाच निकट नहीं आवे, महावीर जब नाम सुनावे ।।

अगर आपको ऐसे व्यक्तियों के बीच एकदम अकेले बालाजी मे ही रहना पड़ जाए तो शायद आपको जरूरत महसूस होने लगे अपनी जेब में हनुमान चालीसा की छोटी सी किताब रखने की।

अरे भाई हनुमान जी तो स्वयं बल और बुद्धि के दाता हैं। क्यूँ डरते हो? अगर भक्ति के बीच में डर आ जाए तो भक्ति कैसी।

कुछ लोग शायद इसलिए भी मेहंदीपुर जाने से डरते हैं कि वहाँ जाकर कहीं आपको भी कुछ ना हो जाए। ऐसे भक्तों के लिए हम आपको बताना चाहेंगे कि बालाजी महाराज यानी हनुमानजी का बाल रूप है। यहाँ इन्ही की सत्ता चलती है। ये भक्तों पर कृपा करते हैं, इनके यहाँ ऐसे ही खुद कुछ नहीं हो जाता है।

जो भक्त ऊपरी बाधा से परेशान होते हैं वो बालाजी के दरबार में जाकर अपनी अर्जी लगाते हैं और प्रार्थना करते हैं कि बाबा हमें संकट से मुक्त कर दो। तब जाकर वो लोग आपको इस तरह से दिखायी देते हैं।

आप निश्चिंत होकर बालाजी महाराज के दर्शनों के लिए जाइए आपको कुछ नहीं होगा। जो मुराद मांगनी है मांगिए वो सबकी मनोकामना पूरी करते हैं।

इनकी छवि को आप हनुमान जी मान कर देखिये। इसी रूप में इन्हें मानिए। यकीन मानिए ये वही हैं जिन्हें मंगलवार को आप मन्दिर जाकर बूंदी का प्रसाद चढ़ाकर आते हैं।

मत घबराओ ए जग वालों, इस दर पर शीश झुकाने से

दरबार में घाटे वाले के, दुख दर्द मिटाए जाते हैं।

संकट के सताए लोग यहाँ, सीने से लगाये जाते हैं।।

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