मेहंदीपुर बालाजी मंदिर – राजस्थान का सर्वाधिक लोकप्रिय और चमत्कारिक मंदिर

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मेहंदीपुर बालाजी मंदिर राजस्थान के दौसा जिले मे स्थित एक हिन्दू मंदिर है। ऐसी मान्यता है कि यहाँ हनुमान जी साक्षात् रूप मे मेहंदीपुर बालाजी मंदिर मे विराजमान हैं। यहाँ हनुमान जी के बाल रूप की पूजा की जाती है इसीलिए यहाँ इनके बाल रूप को बाला जी महाराज कहा जाता है।

आखिर क्यों लोकप्रिय और चमत्कारी है मेहंदीपुर बालाजी मंदिर.

यह  स्थान घाटा मेहंदीपुर नामक एक छोटे से कस्बे मे आता है। इस जगह की प्रसिद्धि आध्यात्मिक उपचार, संकट, भूत प्रेत बाधा, पितृदोष, क्रिया से मुक्ति के कारण है जो कि लोगों को दूर दूर से आकर्षित करती है। मेहंदीपुर बालाजी मंदिर मेहंदीपुर के आसपास की छोटी छोटी पहाड़ियों से घिरा हुआ क्षेत्र है और यह अपेक्षाकृत कम विकसित क्षेत्र है।

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के महंत जी महाराज कौन है?

मेहंदीपुर मे बना मेहंदीपुर बालाजी मंदिर उत्तर भारत का एक बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर है। इस मंदिर के पहले महंत श्री गणेशपुरी जी महाराज थे और वर्तमान समय में श्री किशोरपुरी जी इस मंदिर का कार्य भार ग्रहण कर रहे हैं, जो कि शाकाहार और आध्यात्म का पूर्ण सख्ती से पालन करते हैं।

मेहंदीपुर बाला जी को आशीर्वाद देते हुए उनके आराध्य प्रभु श्री रामचन्द्रजी

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के ठीक सामने बना हुआ सीता राम मंदिर बहुत ही सुंदर है। इस मंदिर की खासियत यह है कि सामने से हनुमान जी की नज़रें ठीक उनके आराध्य प्रभु श्री रामचन्द्रजी के चरणों में ही पड़ती है। प्रभु राम चन्द्र जी की प्रतिमा अत्यन्त ही मन मोहक है। बार बार इनकी प्रतिमा को निहारने के बाद भी आत्मा को जैसे तृप्ति ही नही मिलती एवं बार बार इनके ही चरणों को देखते रहने का मन व्याकुल रहता है, ऐसा है प्रभु श्री राम जी का दरबार।

अर्जी, दरखास्त और सवामनी बालाजी महाराज की मान्य व्यवस्था

संकट वाले जिन्हे मुख्य रूप से भूत प्रेत बाधा से पीड़ित माना जाता है, मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में अर्जी, दरखास्त और सवामनी लगाकर अपना उपचार करते हैं और ठीक होकर बाबा की जय जय कार लगाते हैं। श्री बालाजी महाराज को यहाँ लड्डुओं का भोग लगाया जाता है, श्री प्रेतराज सरकार (प्रेतों के राजा) को उबले चावल और भैरव जी (कोतवाल कप्तान / सेनापति) को उबले हुए उड़द का भोग लगाया जाता है।

अन्य दर्शनीय मंदिर

हनुमान जी के मुख्य रूप से मंगलवार और शनिवार दिन होने के कारण यहाँ बहुत अधिक भीड़ रहती है। जिस कारण बालाजी महाराज के दर्शन के लिए घंटो लाइन में लगना पड़ता है। मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के पास कई अनेक मंदिर भी है जिसमे से मुख्य रूप से अंजनी माता का मंदिर, तीन पहाड़ पर बना काली मंदिर और पंचमुखी मंदिर है। सात पहाड़ का गणेश जी, प्रथम महंत समाधि वाले बाबा भी कुछ मेहंदीपुर बालाजी के कुछ विशेष मंदिर है। मंदिर का प्रसाद यहां के आसपास के स्कूल, कॉलेज और अन्य सार्वजनिक स्थलों पर निःशुल्क बांटा जाता है।

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर की आरती – एक मुख्य आकर्षण

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर की एक और खासियत है जो कि अचंभित करने वाली है वो यह है कि यहाँ बालाजी महाराज की मूर्ति के बायीं ओर एक छोटा सा छिद्र है जहाँ से निरंतर जल की एक धारा निकलती रहती है जोकि पर्याप्त चोला चढ़ाने के बाद भी नहीं रुकती। ना ही मूर्ति मे से जल आने का आज तक इसका स्रोत पता चल सका है। मूर्ति को सोने का चोला चढ़ाया जाता है। इस मंदिर का अन्य आकर्षण यहां सुबह शाम होने वाली आरती के छींटे है। मान्यता है कि यहाँ छींटे लेने से शारीरिक व्याधा का दमन होता है और छींटे मिलना एक शुभ एवं भाग्यशाली संकेत माना जाता है। आरती के समय बिजली के तारों पर कबूतरों का एक लाइन से आकर बैठ जाना और आरती के बाद खुदबखुद चले जाना मंत्र मुग्ध करता है।

मेहँदीपुर बालाजी मंदिर के आस पास लोक लुभावन दुकाने, होटल और धर्मशाला

यहाँ धार्मिक पुस्तके, जप करने की माला, हर प्रकार की पूजा सामग्री यहाँ आसानी से मिल जाती है। यहाँ हर प्रकार की दुकाने है जो दर्शनार्थीयों को लुभाती है। यहाँ भोजन हेतु कई होटल और भोजनालय है जो कि पूरी तरह से शाकाहारी है। यहाँ मिलने वाले भोजन मे आपको प्याज़ और लहसुन नहीं मिलेगी। यहाँ रुकने के लिए कई और हर प्रकार की धर्मशाला है जो कि आपको आपके हिसाब से मिल जाएगी।

कैसे जाए मेहंदीपुर बालाजी मंदिर ?

मेहँदीपुर बालाजी मंदिर जाने के लिए सबसे पास का रेल्वे स्टेशन बांदीकुई रेल्वे स्टेशन है, जोकि दिल्ली जयपुर लाइन के बीच मे पड़ता है। यहाँ तक पहुँचने के लिए कई ट्रेन है जिसे आप IRCTC की साइट पर जाकर चेक कर सकते हैं। बांदीकुई रेल्वे स्टेशन से मेहँदीपुर बालाजी मंदिर जाने के लिए आपको आसानी से बस और जीप मिल जायेंगी जो मुश्किल से आपको 40 मिनट में पहुँचा देगी। किराया भी मुश्किल से 40-50 रुपये लगता है। अगर आप वहाँ भीड़ भाड़ की दिक्कतों और असुविधा का सामना नहीं करना चाहते हैं तो वहाँ मंगलवार, शनिवार और रविवार का दिन छोड़कर जाये और धर्म लाभ उठाए।

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